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मनुष्य को सफल,शांत व आनंदित बनाने वाला योग?

chetnanand ji

हर मनुष्य आनंदित व सफल जीवन जीना चाहता है फिर क्या कारण है कि सभी मनुष्यों का स्वभाव, गुण व प्रवृत्तियां अलग-अलग होते हैं| क्यों कुछ मनुष्य छोटी सी घटना से ही दुखी हो जाते हैं व क्यों कोई दूसरा मनुष्य उससे बहुत बड़ी घटना से भी दुखी नहीं होता व इसी तरह से कुछ मनुष्य दुख से जल्दी बाहर निकल आते हैं व कुछ को इस दुख से बाहर आने में बहुत अधिक समय लगता है| अर्थात महसूस व वापसी करने का स्तर अलग-अलग क्यों होता है |

इसी तरह सुख का स्तर, डर का स्तर, गुस्से का स्तर, सफलता व असफलता का स्तर, आत्मविश्वास व कायरता का स्तर, ज्ञान व अज्ञान का स्तर, समझ या ना समझी का स्तर, निर्णय लेने की क्षमता का स्तर, एकाग्रता,सतर्कता,उत्साह व धैर्य आदि का स्तर, खतरे या चुनौती का सामना करने की क्षमता का स्तर आदि भी हर मनुष्य में अलग-अलग ही होते हैं क्यों ? यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है हर मनुष्य को इसके बारे में जानना उतना ही जरूरी है जितना बाकी सभी कार्य करना | अगर हर मनुष्य इसके कारण को जान जाए तो इसका उपाय भी किया जा सकता है| इसके कारण निम्नलिखित है

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ध्यान जितना गहरा और तीव्र होता है

सभी संतजन बताते हैं कि हर चीज में एक ऐसा तत्व है जब वह चीज में ज्यादा होता है तो जागृति बढ़ जाती है व जब कम होता है तो बेहोशी अर्थात मूर्च्छा बढ़ जाती है, वह तत्व है ध्यान| ध्यान जितना गहरा और तीव्र होता है उतनी जागृति हो जाती है व जहां ज्ञान की गहराई में तीव्रता कम होती है उतनी मूर्च्छा हो जाती है |
असल में हर चीज के बीच जो फर्क है वह सिर्फ ध्यान की सक्रियता व निष्क्रियता का है| पत्थर और हमारे बीच जो फर्क है वह इतना ही है कि पत्थर के पास किसी भी दिशा में गहरा ध्यान नहीं है परंतु हमारे अंदर हर दिशा मे ध्यान सक्रिय हैं | जिस दिशा में गहरा ध्यान हो जाता है उस दिशा में जागृति हो जाती है व जिस दिशा मे ध्यान की निष्क्रियता होती है वहां ध्यान नहीं होता है|

ध्यान ही मूल तत्व है जिसकी तरलता, सघनता, विरलता, व इसका ठोसपन तय करता है कि आपको जागृत कहें या आपको सोया हुआ कहें , होश में कहें या निंद्रा में कहें| यह जागृति और मूर्च्छा का स्तर ही मनुष्य के स्वभाव, गुण व प्रवृत्तियों का स्तर होता है| इसी से हर मनुष्य में सफलता- असफलता, सुख- दुख व अच्छी- बुरी प्रवृत्तियों का फर्क नजर आता है| इस संसार में प्रत्येक वस्तु का अपना व्यक्तित्व है व व्यक्तित्व निर्भर करता है उसके मूर्च्छा व जागृति की तारतम्यता से| वह कितना जागृत है , कितना मूर्छित है, उसका ध्यान कितना सक्रिय है यही उसका व्यक्तित्व है| ध्यान की सक्रियता का नाम ही जागरूकता व ध्यान की निष्क्रियता का नाम निद्रा/मूर्च्छा है| ध्यान की परम निष्क्रियता का नाम पदार्थ व ध्यान की परम सक्रियता का नाम ही परमात्मा है|

ज्ञान के स्तर को कैसे बढ़ाएं ?

ध्यान की सघनता व तीव्रता को बढाने वाले प्रयोग निम्नलिखित है?

(1) भोजन को पूर्ण जागृत होकर खाएं :- लगभग हर मनुष्य भोजन को बेहोशी में ही खाता है अर्थात जब भोजन करता है तब उसका ध्यान पूर्ण रूप से भोजन पर न होकर इधर-उधर भटकता रहता है यही परम समस्या है |

जब कोई मनुष्य बेहोशी में भोजन खाता है तो वह उस वस्तु से रिश्ता नहीं जोड़ पाता है व वही जब कोई मनुष्य खाने को पूर्ण होश के साथ खाता है तो इसका अर्थ है कि वह पूर्ण चेतना से उस वस्तु के साथ एक रिश्ता जोड़ रहा है| जब मनुष्य बेहोशी में उस वस्तु को खाता है तो वह उस वस्तु को अपने से अलग ही समझाता रहता है जिसके कारण वह वस्तु शरीर व मन पर बेहोशी को बढ़ाती है व अगर होशपूर्वक अर्थात पूरी चेतना के साथ खाते हैं तो वही वस्तु जागृति स्तर को और बढ़ाती है |

(2) पूर्ण एकाग्र होकर कार्य करें :- जब भी कोई कार्य करें जैसे गाड़ी चलाना, नहाना संगीत सुनना, बातचीत करना, पढ़ाई करना व पेंटिंग बनाना आदि सभी कार्यों को पूर्ण एकाग्रता के साथ करें |

एकाग्रता से काम करने से ध्यान की सक्रियता उस दिशा में बढ़ जाती है व ध्यान की सक्रियता से ही जागृति बढ़ती है|

(3) ध्यान सत्र को बढ़ाने वाले कुछ कार्य करें जैसे पेंटिंग बनाना, संगीत सुनना, व्यायाम करना, तीरंदाजी या घुड़सवारी आदि कोई विशेष खेल खेलना, किसी स्वच्छ व शांत जगह पर बैठकर सांसों पर या किसी भी प्रकार का ध्यान करना या नाम जप करना आदि से भी ध्यान की सघनता व तीव्रता बढ़ती है |

(4) आचरण को स्वच्छ करें:- ऐसा कोई भी व्यवहार ना करें जिससे ध्यान का स्तर कम होने लगे जैसे चोरी,बेईमानी, जीव हत्या, घृणा, द्वेष,निंदा, व्यभिचार आदि |

गलत आचरण से तनाव, गुस्से व झगड़े जैसी परिस्थितियां पैदा होती है जिससे ध्यान ऊर्जा खण्डित होती है व मनुष्य को मूर्च्छा की ओर बढ़ाती है |

ऐसे ही और भी बहुत से प्रयोग हैं जिससे ध्यान की सघनता व तीव्रता को बढ़ाया जा सकता है परंतु इस लेख में हमारा उद्देश्य आपको सिर्फ ध्यान स्तर को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है

इसलिए इस लेख में सिर्फ उतना ही लिखा गया है जिससे मनुष्यता को ध्यान के महत्व के बारे में पता चल सके |

धन्यवाद

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